माता पिता
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माता-पिता ईश्वर का अनमोल तोहफा हैं, जो बच्चों को जन्म देते हैं, उनका पालन-पोषण करते हैं और बिना शर्त प्यार, मार्गदर्शन व सहयोग देते हैं; वे हमारे पहले शिक्षक, संरक्षक और जीवन के हर मोड़ पर साथ खड़े रहने वाले होते हैं, जो हमारी जरूरतों और खुशियों के लिए अपनी इच्छाएं त्याग देते हैं, इसलिए उनका सम्मान करना और उनकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है.
ईश्वर का रूप: भारतीय संस्कृति में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वे हमें जीवन देते हैं और सही संस्कार सिखाते हैं.
पहले गुरु: वे हमारे पहले शिक्षक होते हैं जो हमें बोलना, चलना और जीवन जीना सिखाते हैं.
संरक्षक और मार्गदर्शक: माता-पिता बच्चों को सुरक्षा, भोजन, आश्रय और भावनात्मक सहारा देते हैं, साथ ही सही दिशा दिखाते हैं.
निस्वार्थ प्रेम: उनका प्यार निःस्वार्थ होता है; वे बच्चों को सफल देखने के लिए अपनी खुशियों का बलिदान कर देते हैं.
समर्थन का आधार: वे हर मुश्किल में हमारे साथ खड़े रहते हैं और हमें हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करते हैं.
आज के समय में एकल परिवार और कामकाजी माता-पिता के कारण बच्चों को समय कम मिलता है, जिससे बच्चों के व्यवहार में बदलाव आ सकता है, इसलिए माता-पिता का संवेदनशील होना जरूरी है.
बच्चों को भी माता-पिता के बलिदान को समझना चाहिए और उनके प्रति सम्मान व कर्तव्य की भावना रखनी चाहिए, खासकर वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करनी चाहिए.
माता-पिता के प्रति आभार व्यक्त करना और उन्हें खुश रखना.
उनके द्वारा दिए गए संस्कारों का पालन करना और उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना.
बचपन की तरह बुढ़ापे में भी उनका सहारा बनना और उन्हें अकेला महसूस न होने देना.
संक्षेप में, माता-पिता हमारे जीवन का आधार हैं; उनका योगदान अमूल्य है और उनके बिना एक स्वस्थ और सफल जीवन की कल्पना करना मुश्किल है
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