Company Logo

Ishika Dhiman

WEFRU5311190105202
Scan to visit website

Scan QR code to visit our website

भुजंगासन के फायदे, अभ्यास का सही तरीका और सावधानियां

꧁ Digital Diary ༒Largest Writing Community༒꧂


Meri Kalam Se Digital Diary Create a free account



भुजंगासन के फायदे  अभ्यास का सही तरीका और सावधानियां

भुजंगासन के फायदे, अभ्यास का सही तरीका और सावधानियां

कई तरह के योगासनों में से एक भुजंगासन है, जिसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। भुजंगासन का अभ्यास हर उम्र और स्थिति के लोग कर सकते हैं। इस योग से शारीरिक और मानसिक दोनों सेहत पर असर पड़ता है। भुजंगासन पीठ की समस्या, रीढ़ की हड्डी की परेशानियों को ठीक करने में कारगर योग क्रिया है। इसके साथ ही किडनी, लिवर और फेफड़ों को भी स्वस्थ बनाता है। पाचन संबंधी समस्या हो या मांसपेशियों में खिंचाव लाना हो, भुजंगासन का अभ्यास कर सकते हैं। प्रजनन प्रणाली में सुधार, साइटिका, तनाव व थकान के साथ ही महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म की समस्या को दूर कर सकता है।

 

एक योगासन और इतने सारे स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे में समय की कमी होने पर सिर्फ भुजंगासन के अभ्यास की आदत बनाकर खुद को सेहतमंद बना सकते हैं। हालांकि भुजंगासन के अभ्यास का सही तरीका अपनाना होगा। गलत तरीके से भुजंगासन का अभ्यास नुकसानदायक भी हो सकता है। आइए जानते हैं भुजंगासन के अभ्यास का सही तरीका और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में विस्तार से।

भुजंगासन के लाभ 

 ०  योग विशेषज्ञों के मुताबिक भुजंगासन पीठ की मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में असरदार योग है।

०   भुजंगासन को पाचन, लिवर और किडनी के कार्यों में सुधार करने वाला योगासन माना जाता है।

०  यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।

०  छाती और फेफड़ों, कंधों और पेट की मांसपेशियों को फैलाता है।

०  तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।

०  साइटिका की समस्या को कम करने में लाभदायक।

०  भुजंगासन का नियमित अभ्यास अस्थमा के लक्षणों को कम करता है।

०  प्रजनन प्रणाली में सुधार करने के लिए इस अभ्यास को फायदेमंद माना जाता है।

०  अनियमित मासिक धर्म की समस्या भी दूर होती है।

०  ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से आपके चेहरे पर निखार आता है।

 

भुजंगासन के अभ्यास का तरीका

 

स्टेप 1- भुजंगासन के अभ्यास के लिए पेट के बल सीधा लेटकर पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।

स्टेप 2- अब हाथों को छाती के पास ले जाते हुए हथेलियों को नीचे टिका लें।

स्टेप 3- गहरी सांस लेते हुए नाभि को ऊपर उठाएं और आसमान की तरफ देखें।

स्टेप 4- उस मुद्रा में कुछ देर रहें।

स्टेप 5- इस दौरान सामान्य सांस लेते रहें।

स्टेप 6- फिर पुन: वाली अवस्था में आ जाएं।

स्टेप 7- यह प्रक्रिया तीन-चार बार दोहराएं। 

Thank you for watching.




Leave a comment

We are accepting Guest Posting on our website for all categories.


Comments