दिखने लगे अगर ये 4 बदलाव तो समझ लें कि मेडिटेशन आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचा रहा है
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दिखने लगे अगर ये 4 बदलाव, तो समझ लें कि मेडिटेशन आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचा रहा है
मेडिटेशन यानि ध्यान करना हमेशा से अच्छा माना जाता है और इसके अनगिनत फायदे होने के कारण सबको इसे करने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मेडिटेशन करना आपको फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। शायद ही किसी ने आपको इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया होगा। तो, मेडिटेशन से क्या नुकसान होते हैं, जानते हैं...
मेडिटेशन, जिसे ध्यान भी कहा जाता है, मानसिक शांति और आत्मा-विश्लेषण के लिए एक सुरक्षित तरीका है।
गहरे ध्यान के दौरान कई लोगों के अवचेतन मन में दबी पुरानी भावनाएं उभर सकती हैं, जिससे मानसिक असंतुलन और चिंता हो सकती है।
दीर्घकालिक मेडिटेशन कुछ व्यक्तियों में भावनात्मक अस्थिरता या शून्यता की भावना उत्पन्न कर सकता है।
मेडिटेशन करते समय प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि संभावित नुकसानों से बचा जा सके।
मेडिटेशन, जिसे ध्यान भी कहा जाता है, मानसिक शांति पाने और आत्मा-विश्लेषण करने का एक सुरक्षित तरीका माना जाता है। ध्यान इतना फायदेमंद है कि कभी किसी ने इसके नुकसान के बारे में सोचा ही नहीं। परन्तु कुछ मामलों में मेडिटेशन के कुछ नकारात्मक प्रभाव या नुकसान भी हो सकते हैं। वो नुकसान किस प्रकार आपको नजर आ सकते हैं,
1 मानसिक असंतुलन और चिंता
कुछ व्यक्तियों के लिए, मेडिटेशन मानसिक शान्ति या स्थिरता की जगह मानसिक असंतुलन या चिंता का कारण बन सकती है। असल में गहरे ध्यान के दौरान कई लोगों के दिमाग में अवचेतन मन में दबी पुरानी बातें और दबी हुई भावनाएं उभर जाती हैं, जो उन्हें तनावपूर्ण या असुविधाजनक बना देती हैं। ऐसे में ध्यान करना उन्हें नुकसान पहुंचाने लगता है।
2. शारीरिक असुविधा
मेडिटेशन के दौरान गलत तरीके से आसन लगाकर बैठना या लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से शारीरिक असुविधा, जैसे पीठ दर्द, गर्दन दर्द या अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए कुछ लोगों को कुछ आसन करने से या तो मना कर दिया जाता है या फिर उन्हें किसी एक्सपर्ट से सलाह लेने को कहा जाता है। मेडिटेशन करते समय अधूरी जानकारी के आधार पर अभ्यास करना हानिकारक हो सकता है। किसी प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सहायता के बिना गलत तरीके से मेडिटेशन करने से मन और शरीर दोनों के लिए खतरे की संभावना बढ़ जाती है।
3. भावनात्मक अस्थिरता
दीर्घकालिक मेडिटेशन कुछ लोगों में भावनात्मक अस्थिरता या शून्यता की भावना उत्पन्न कर सकता है। यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है जो अत्यधिक संवेदनशील होते हैं या जो मेडिटेशन में गहराई से जुड़ जाते हैं। कुछ लोग मेडिटेशन के दौरान कई असहज अनुभव को महसूस कर डर भी जाते हैं। कुछ लोग मेडिटेशन में इतना एकाग्र हो जाते हैं कि उनका दुनिया से कटाव शुरू हो जाता है। हालांकि, कई बार वो भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं।
4. अनियंत्रित विचार या नींद की कमी
कुछ व्यक्तियों के लिए, मेडिटेशन के दौरान मन में आने वाले अनियंत्रित विचार और मानसिक अशांति एक समस्या बन सकती है। यह मानसिक स्थिति को और अधिक जटिल बना सकता है और ध्यान को केंद्रित करना कठिन हो सकता है। कई लोगों को मेडिटेशन करने के दौरान रात में नींद आनी बंद हो जाती है। उन्हें ऊर्जा बहुत महसूस होती है लेकिन नींद 3-4 घंटों में ही पूरी होने लगती है। जब ऐसा हो, तो समझ जाइये कि आपके दिमाग के अंदर हलचल शुरू हो गई है अगर आपने ध्यान करना नहीं छोड़ा, तो थोड़े दिन के लिए तो आप नींद न लेने के कारण गंभीर रूप से मानसिक बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं।
मेडिटेशन हमेशा किसी प्रशिक्षित गुरु या विशेषज्ञ की सलाह से करें और अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसे अपनाएं। सही मार्गदर्शन के साथ ही आप मेडिटेशन के लाभों का पूरा अनुभव कर सकते हैं और संभावित नुकसानों से बच सकते हैं।
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