मेडिटेशन को मुश्किल बना देती हैं ये 6 बाधाएं जानिये इनसे कैसे निपट सकते हैं आप
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मेडिटेशन को मुश्किल बना देती हैं ये 6 बाधाएं, जानिये इनसे कैसे निपट सकते हैं आप
मेडिटेशन करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता क्योंकि मेडिटेशन करते वक्त कई चीजें परेशान करने लगती हैं। इसे ध्यान प्रतिरोध कहते हैं। ये मानसिक और भावनात्मक अवरोध हैं जो ध्यान की अवस्था को शुरू करना या उसमें बने रहना कठिन बनाते हैं। तो, वो कौन सी 6 सामान्य चुनौतियां हैं जिसका सामना सभी मेडिटेशन करते वक्त करते हैं और उससे कैसे निपटते हैं, चलिए जानते हैं...
ध्यान के दौरान मन का बार-बार भटकना सामान्य है; इसे नियंत्रित करने के लिए सांस पर ध्यान केंद्रित करना मददगार हो सकता है।
सुस्ती या नींद से बचने के लिए ध्यान करते समय बैठकर करना और चेहरे पर ठंडा पानी लगाना फायदेमंद हो सकता है।
ध्यान को समय की बर्बादी समझने के बजाय, इसे दिनचर्या में शामिल करें, भले ही केवल 5 मिनट के लिए ही क्यों न हो।
शारीरिक दर्द या असुविधा से निपटने के लिए आरामदायक मुद्रा अपनाना और हल्के योगासन करना सहायक हो सकता है।
मन चंचल होता है और मेडिटेशन के दौरान उसे एक जगह स्थिर रखना बहुत बड़ी चुनौती होती है। ध्यान के अभ्यास के दौरान, कई लोग विभिन्न प्रकार के मानसिक और शारीरिक प्रतिरोधों का सामना करते हैं। ऐसा होना सामान्य है, लेकिन इससे निपटना उतना आसान नहीं। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिससे आप इन प्रतिरोधों से निपट सकते हैं।
1। बेचैनी और व्याकुलता (Restlessness and Distraction)
ध्यान के दौरान मन का बार-बार इधर-उधर भटकना सामान्य है। कई बार लोगों को शरीर में खुजली होने लगती है, कभी आस-पास की आवाज या वातावरण परेशान कर देती है, तो कभी बैठना मुश्किल लगने लगता है। ऐसे में शरीर में बेचैनी महसूस होती है और ध्यान से मन भटकता रहता है। इससे निपटने का आसान तरीका है कि अपने सांस पर ध्यान केंद्रित करें। सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को गहराई से महसूस करें। शुरुआत में छोटे समय (5-10 मिनट) से ध्यान करें और फिर धीरे-धीरे बढ़ाएं। यदि सांस पर ध्यान देना मुश्किल हो, तो मंत्र, प्रकाश, या किसी ध्वनि पर ध्यान दें।
2। नींद आना (Drowsiness and Sleepiness)
ध्यान के दौरान सुस्ती या नींद आना भी बहुत आम बात है। कई लोग ध्यान करते वक्त इतने आराम की अवस्था में चले जाते हैं कि उन्हें सुस्ती छाने लगती है। ऐसी स्थिति में लेटकर ध्यान करने की बजाय बैठकर ध्यान करें। ध्यान से पहले ठंडे पानी से चेहरा धो लें। या फिर ऐसा ध्यान करें जिसमें आपको आँखे बंद करने की जरूरत ना हो, जैसे कि कपालभाति प्राणायाम या चलते हुए ध्यान (वॉकिंग मेडिटेशन)
3। समय की बर्बादी (wastage of Time)
कई लोगों को ध्यान करते वक्त मन में यही ख़याल रहता है कि यह समय की बर्बादी है या वे इस समय को प्रोडक्टिव नहीं बना पा रहे हैं। कुछ लोग आलस में या फिर व्यस्त रहने के कारण नियमित ध्यान के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। ऐसा अगर है, तो दिन में 5 मिनट भी ध्यान करने से लाभ मिलता है। इसलिए, समय के ज्यादा पाबन्द होने के बजाय सुबह या रात में सोने से पहले ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। लंबा ध्यान करने के बजाय माइंडफुलनेस का अभ्यास दिन भर करें।
4। शारीरिक दर्द या असुविधा (Physical Discomfort)
कई लोगों को लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से दर्द या खिंचाव की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आरामदायक मुद्रा अपनाएं। यानि कुर्सी पर बैठकर या तकिया का सहारा लेकर ध्यान करें। आप ध्यान से पहले कुछ हल्के योगासन भी कर सकते हैं। शुरुआती चरण में लंबे समय तक न बैठें।
5। नकारात्मक विचार (Negative Thoughts)
ध्यान के दौरान पुराने दुख, डर, या चिंताएं सामने आना आम बात है। कई लोगों के लिए इन समस्याओं के कारण ध्यान एक दर्दनाक अनुभव भी बन जाता है। लेकिन ऐसी स्थिति में अपने विचारों को दबाने की बजाय उन्हें स्वीकार करें और उन्हें गुजरने दें। विचारों को देखें लेकिन उनके साथ जुड़ें नहीं। आप सकारात्मक मंत्र का उच्चारण भी कर सकते हैं, जैसे कि "ओम्" या "मैं शांत हूं।
6। धैर्य की कमी (Impatience)कई लोग ध्यान का तुरंत परिणाम न देखकर निराश हो जाते हैं। ऐसा करना सही नहीं है क्योंकि ध्यान एक अनुभव है, कोई कार्य नहीं। इसलिए परिणाम की अपेक्षा छोड़कर अभ्यास का आनंद लें। अपने अनुभवों को लिखें और समय के साथ हुए बदलाव को पहचानें। याद रखें कि ध्यान एक दीर्घकालिक अभ्यास है और इसके लाभ धीरे-धीरे दिखाई देते हैं।
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