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इस ध्यान मे परिवार के प्रति प्यार की भावनाओं को जगाया जाता है

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ध्यान मे परिवार के प्रति प्यार की भावनाओं को जगाया जाता है

पहली बात तो यह है चूँकि जो लोग नित्य प्राय: ध्यान कर रहे हैं, ध्यान न भी कर रहे हों, प्रेम की गहराई में, श्रद्धा के भाव में, ध्यान जैसी ही स्थिति बन जाएगी |यह नहीं कि कुछ विधि करेगा ध्यान की, तो कुछ उसको अनुभूति शुरू होगी। प्रेम अपने आप में ही एक ध्यान विधि है। हार्दिक गहरी जो श्रद्धा है, यह भी अपने आप में एक ध्यान ही है। जिनके अंदर ऐसी गहरी श्रद्धा और ऐसा गहरा प्रेम उजागर हो जाता है, वे अपने आप में यूँ समझिए कि बिना किए हुए ही ध्यान जैसी स्थिति में रहते हैं।

नींद में शरीर की जो स्थिति है, वह एक जैसी नहीं रहेगी।परन्तु जब ध्यान में मन गहरे उतरता है, मन एकाग्र होता है, मन के विचार जब पूरे थमने लग जाते हैं तो विचारों के पूरी तरह से थमते ही एक पूर्ण रिलैक्सेशन , शरीर में और मन में पूरी तरह से शिथिलता आ जाती है। जिसके कारण से नींद जैसा अहसास आता है। पर निश्चित रूप से वह नींद नहीं होती है।

अब ध्यान के प्रभाव से वह शिथिलता आई, लेकिन कहीं न कहीं वह प्रेम ने, उस भाव ने, फिर से अंदर जो पुकार उठाई .... अब पुकार उठाई तो फिर वापिस से उस रेचन की ओर या सक्रियता की ओर वह आ जाता है ।लेकिन ऐसा कुछ बुद्धि से समझने की चेष्टा करने लगेंगे तो बुद्धि तो चक्कर में फँस ही जाएगी और कुछ नहीं होगा। तो चक्करों से मुक्ति के लिए बेहतर यह रहता है कि जब भी कभी कुछ ऐसी अनुभूति हो तो सजग रहें। जैसे अब लिख कर पूछ लिया कि यह नींद थी या कुछ और था, स्पष्ट करा लिया। लेकिन अपनी तरफ से बहुत विश्लेषण करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए

 

 

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