रुद्र ध्यान के दौरान ऊर्जा का अनुभव
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रौद्रध्यान
रुद्र का एक अर्थ क्रूर है। क्रूर परिणामो से अनुबन्धित ध्यान रौद्रध्यान है। भौतिक विषयों की सुरक्षा के लिए तथा हिंसा, असत्य, चोरी, क्रूरता आदि दुष्प्रवृत्तियों से अनुबन्धित चित्तवृत्ति का नाम रौद्रध्यान है। इस ध्यान से प्रभावित व्यक्ति ध्वंसात्मक भावों का अर्जन करता है और उसकी प्रेरणा से अवांछित कार्यों में प्रवृत्त होता है। हिंसा, झूठ, चोरी और विषय-संरक्षण के निमित्त से रौद्रध्यान चार प्रकार का है- हिंसानन्दी, मृषानन्दी, चौर्यानन्दी और विषयसंरक्षणानन्दी।
इनका अर्थ इनके नामों से ही स्पष्ट है।
इस प्रकार आर्त और रौद्रध्यान बिना प्रयत्न के ही हमारे संस्कारवश चलता रहता है। ये दोनों ध्यान दुर्गति के हेतु हैं। मोक्षमार्ग में इनका कोई स्थान नही है, न ही ऐसे ध्यान तप की श्रेणी में आते हैं। ये दोनों संसार के हेतु हैं। इन अशुभ विकल्पों से चित्त को हटाकर
रुद्र गायत्री मंत्र भगवान शिव का बेहद शक्तिशाली मंत्र है। भगवान शिव के इस मंत्र में असीम आध्यात्मिक ऊर्जा छिपी है जो कि मन को जाग्रत करने, सभी कष्टों से मनुष्य को दूर करने और आध्यात्मिक चेतना को बढ़ाने का काम करती है। आइए जानते हैं इस बेहद पावरफुल मंत्र के बारे में।
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