Company Logo

Khushi prerna

WEFRU7140112214202
Scan to visit website

Scan QR code to visit our website

आर्तध्यान

꧁ Digital Diary ༒Largest Writing Community༒꧂


Meri Kalam Se Digital Diary Create a free account




आर्तध्यान

आर्त का अर्थ है- पीड़ा या दु:ख। प्रिय व्यक्ति या वस्तु के वियोग और अप्रिय व्यक्ति या वस्तु के संयोग से होनेवाली मानसिक विकलता की स्थिति में जो चिन्तन होता है, वह आर्तध्यान कहलाता है। वेदनाजनित आकुलता और विषयसुख की प्राप्ति के लिए किया जानेवाला दृढ़ संकल्प भी इसी ध्यान का अंग है। व्याकुलता, छटपटाहट और अधीरता आर्त्तध्यान की निष्पत्तियाँ हैं। आर्त्तध्यान के चार भेद हैं-

 

 

1 इष्टवियोग- प्रिय व्यक्ति या वस्तु के वियोग होने पर उसकी प्राप्ति के लिए होनेवाली वियोगजन्य विकलता।

 

2 अनिष्टसंयोग- अप्रिय व्यक्ति या वस्तु के संयोग होने पर उसे दूर करने के लिए होनेवाली संयोगजन्य विकलता।

 

3 पीड़ाचिन्तन- वेदनाजन्य आतुरता, छटपटाहट

 

4 निदान- भावी भोगों की आकांक्षाजन्य आतुरता।

 




Leave a comment

We are accepting Guest Posting on our website for all categories.


Comments