कुण्डलिनी शक्ति के चमत्कार और कैसे जागृत करें

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कुण्डलिनी शक्ति के चमत्कार और कैसे जागृत करें

कुंडलिनी की प्रकृति कुछ ऐसी है कि जब यह शांत होती है तो आपको इसके होने का पता भी नहीं होता। जब यह गतिशील होती है तब अपको पता चलता है कि आपके भीतर इतनी ऊर्जा भी है। इसी वजह से कुंडलिनी को सर्प के रूप में चित्रित किया जाता है। कुंडली मारकर बैठा हुआ सांप अगर हिले-डुले नहीं, तो उसे देखना बहुत मुश्किल होता है।

परमाणु को आप देख भी नहीं सकते, लेकिन अगर आप इस पर प्रहार करें, इसे तोड़ दें तो एक जबर्दस्त घटना घटित होती है। जब तक परमाणु को तोड़ा नहीं गया था तब तक किसी को पता भी नहीं था कि इतने छोटे से कण में इतनी जबर्दस्त ऊर्जा मौजूद है।

अगर आपकी कुंडलिनी जाग्रत है, तो आपके साथ ऐसी चमत्कारिक चीजें घटित होने लगेंगी जिनकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। कुंडलिनी जाग्रत होने से ऊर्जा का एक पूरी तरह से नया स्तर जीवंत होने लगता है, और आपका शरीर और बाकी सब कुछ भी बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगता है।

कुण्डलिनी योग : कुंडलिनी शक्ति का उपयोग

योग करने वाले यह मानते हैं कि योग के अभ्यास से अपने भीतर कुण्डलिनी शक्ति को जागृत किया जा सकता है। इस शक्ति को सांप का प्रतीक दिया गया है। आदि योगी शिव के सिर पर भी सांप प्रतीक के रूप में दिखाया जाता है...किस ओर इशारा करते हैं ये प्रतीक?

कुंडलिनी शक्ति का पूरा सच

कुंडलिनी की प्रकृति कुछ ऐसी है कि जब यह शांत होती है तो आपको इसके होने का पता भी नहीं होता। जब यह गतिशील होती है तब अपको पता चलता है कि आपके भीतर इतनी ऊर्जा भी है। इसी वजह से कुंडलिनी को सर्प के रूप में चित्रित किया जाता है। कुंडली मारकर बैठा हुआ सांप अगर हिले-डुले नहीं, तो उसे देखना बहुत मुश्किल होता है।

 

परमाणु को आप देख भी नहीं सकते, लेकिन अगर आप इस पर प्रहार करें, इसे तोड़ दें तो एक जबर्दस्त घटना घटित होती है। जब तक परमाणु को तोड़ा नहीं गया था तब तक किसी को पता भी नहीं था कि इतने छोटे से कण में इतनी जबर्दस्त ऊर्जा मौजूद है।

अगर आपकी कुंडलिनी जाग्रत है, तो आपके साथ ऐसी चमत्कारिक चीजें घटित होने लगेंगी जिनकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। कुंडलिनी जाग्रत होने से ऊर्जा का एक पूरी तरह से नया स्तर जीवंत होने लगता है, और आपका शरीर और बाकी सब कुछ भी बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगता है।

कुण्डलिनी योग : कुंडलिनी शक्ति का उपयोग

ऊर्जा की उच्च अवस्था में समझ और बोध की अवस्था भी उच्च होती है। पूरे के पूरे योगिक सिस्टम का मकसद आपकी समझ और बोध को बेहतर बनाना है। आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब आपकी ग्रहणशीलता को, आपकी अनुभव क्षमता को बेहतर बनाना है, क्योंकि आप उसे ही जान सकते हैं, जिसे आप ग्रहण और अनुभव करते हैं। शिव और सर्प के प्रतीकों के पीछे यही वजह है। इससे जाहिर होता है कि उनकी ऊर्जा उच्चतम अवस्था तक पहुंच गई है। उनकी ऊर्जा उनके सिर की चोटी तक पहुंच गई है और इसीलिए उनकी तीसरी आंख खुल गई है।

तीसरी आंख का अर्थ यह नहीं है कि किसी के माथे में कोई आंख निकल आई है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि आपकी समझ का एक और पहलू खुल गया है। दो आंखों से सिर्फ वही चीजें देखी जा सकती हैं जो स्थूल हैं। अगर मैं आँखों को अपने हाथों से ढक लूं, तो ये आंखें उसे नहीं देख सकतीं। ये इन दो आंखों की सीमा है। अगर तीसरी आंख खुल चुकी है, तो इसका मतलब है कि समझ का एक और पहलू खुल चुका है। यह तीसरी आंख भीतर की ओर देखती है, जिससे जीवन बिल्कुल अलग तरह से दिखता है। इसके खुलने का मतलब है कि हर वो चीज जिसका अनुभव किया जा सकता है, उसका अनुभव किया जा चुका है




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