मेडिटेशन कह काई नुक्सान भी सही तरीके से करने से मिलेंगे फायदे
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आमतौर पर हम मेडिटेशन मन की शांति के लिए करते हैं. इससे तनाव कम होता है और व्यक्ति को सुकून का एहसास होता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. कहते हैं रोजाना ध्यान करने से मानसिक स्थिति बेहतर होती है और व्यक्ति खुश रहने लगता है.मेडिटेशन से एकाग्रता की कमी भी दूर होती है, लेकिन मेडिटेशन पर ज्यादा निर्भर रहने वाले लोगों को इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं. माइंडफुलनेस भी एक तरह का ध्यान है. यह एक बौद्ध आधारितथेरेपी है जिससे हम अपने अंदर और आस पास हो रही गतिविधियों या स्थितियों के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं.
सुनने में यह स्ट्रेस और एंग्जायटी से बचने का बहुत ही सरल तरीका लग रहा होगा, लेकिन बौद्धों के एक समुदाय द्वारा लिखित धर्मत्रात ध्यान शास्त्र में ध्यान के बाद होने वाले अवसाद और चिंता के बारे में बताया गया है। यदि आप भी मेडिटेशन करते हैं और आपकोअपने अंदर कुछ बदलाव दिखने लगे तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए.
डिटेशन करने वाले लोग एक समय के बाद ज्यादा अकेला रहना पसंद करते हैं. वे खुद में ही इतने संतुष्ट रहने लगते हैं कि उन्हें दूसरों की जरूरत ही नहीं पड़ती है. ऐसे मेंधीरे धीरे वे परिवार और समाज दोनों से कटने लगते हैं. कई बार ऐसा करना यह उन्हें डिप्रेशन की तरफ भी धकेल सकता है.
मेडिटेशन को हर कोई पॉजिटिव तरीके से ही लेता है लेकिन जब इसका सही परिणाम नहीं मिलता तो व्यक्ति निराश हो जाता है. उदाहरण के रूप में जब हम बिना मन के कोई काम करते हैं तो उसे हम सही तरीके से नहीं कर पाते हैं. ठीक इसी तरह जब हमचाहते हैं कि अपनी मानसिक शांति को बनाए रखने के लिए हम मेडिटेशन करें लेकिन चाहकर भी फोकस नहीं कर पाते और हमें मनचाहा परिणाम नहीं मिलता तो ऐसे में हमारा कॉन्फिडेंस गिरने लगता है. इससे मोटिवेशन की भी कमी होने लगती है. इसका गलत असर व्यक्ति की पर्सनल ही नहीं बल्कि प्रोफेशनललाइफ पर भी पड़ता है.
अगर आपका नेचर सेंसेटिव है और आप छोटी छोटी बातों को भी दिल पर लगा बैठते हैं तो ज्यादा मेडिटेशन करना आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. मेडिटेट करते समय मन में बुरे विचारआ सकते हैं. आपको पुरानी बातें याद आने लगती है. ऐसे में जब आप ज्यादा समय के लिए बाकी लोगों से खुद को दूर रखते हैं तो इसका नतीजा गलत भी हो सकता है. आप ओवरथिंकिंग भी करने लग सकते हैं.
अधिक मेडिटेशन करने से आपके स्लीप पैटर्न में भी बदलाव आ सकता है. चूंकि मेडिटेशन से ध्यान लगाने और और जगे रहने की क्षमता बढ़ जाती है इसलिए आपको ठीक से नींद ना आने की भी समस्या हो सकती है.
जरूरी नहीं है कि ज्यादा मेडिटेशन करने से आपकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ेगा बल्कि इससे आपको शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है जिसमें थकान, कमजोरी, पेट से जुड़ी शिकायतें, सिर दर्द आदि शामिल है. कुछ लोगों को मेडिटेशन के बाद घबराहट महसूस होती है. ऐसा होने पर आपफौरन मेडिटेशन करना रोक दें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें. मेडिटेशन करने का भी सही तरीका होता है. यदि आप गलत तरीके से भी इसेइसे कर रहे हैं तो भी आप पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
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