जनता (साप्ताहिक)

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जनता (साप्ताहिक)

जनता (साप्ताहिक) एक ऐतिहासिक साप्ताहिक पत्रिका है जिसका प्रकाशन जनवरी 1946 में शुरू हुआ था। इसे समाजवादी बुद्धिजीवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियनों के एक समूह ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के मुखपत्र के रूप में शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक समाजवादी विचारों का प्रसार करना, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर लोकतांत्रिक समाजवादी दृष्टिकोण से चर्चा को बढ़ावा देना और उत्पीड़ितों के सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्षों को आगे बढ़ाना था।

स्थापना और उद्देश्य: 'जनता' की स्थापना एक ऐसे समय में हुई जब भारत में राजनीतिक चेतना का विकास हो रहा था। इसका लक्ष्य भारतीय राजनीति में एक नई सोच और आधुनिक विचारों को लाना था ताकि देश राष्ट्रवाद के साथ-साथ राजनीतिक परिपक्वता भी हासिल कर सके। 'जनता' ने हमेशा राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के मूल्यों के खिलाफ किसी भी आचरण या व्यवहार का विरोध किया है और स्वस्थ पत्रकारिता की नैतिकता और अखंडता को बनाए रखा है।

मुख्य बातें:

  • यह भारत का सबसे पुराना समाजवादी साप्ताहिक है।

  • यह शुरू में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का मुखपत्र था, और बाद में समाजवादी पार्टी और फिर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का आधिकारिक अंग बन गया।

  • डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी "जनता" नामक एक मराठी वृत्तपत्र शुरू किया था जिसका पहला अंक 24 नवंबर 1930 को प्रकाशित हुआ था। यह शुरू में पाक्षिक था और 31 अक्टूबर 1930 को साप्ताहिक हो गया। 1956 में इसका नाम बदलकर "प्रबुद्ध भारत" कर दिया गया था।

     

  • 'जनता (साप्ताहिक)' को 1975-77 के आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित भी किया गया था।

  • वर्तमान में भी यह राजनीति, अर्थशास्त्र और संबंधित विषयों पर लेख प्रकाशित करता रहता है।

इस साप्ताहिक ने समाजवादी आंदोलन के उतार-चढ़ाव के बावजूद समाजवाद की लौ को जलाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में, यह उन ताकतों के खिलाफ प्रकाश फैलाने और आशा को पोषित करने में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में खतरे में डाल रही हैं।




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