अन्य प्रमुख अभियान
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अन्य प्रमुख अभियान: डॉ. बी.आर. अंबेडकर के संघर्ष और योगदान
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारत में सामाजिक न्याय, शिक्षा, और दलित उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक अभियान चलाए। यहाँ उनके कुछ अन्य महत्वपूर्ण आंदोलनों और योगदानों का विवरण है:
इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी (1936):
अंबेडकर ने मजदूरों, किसानों, और दलितों को एकजुट करने के लिए यह पार्टी बनाई।
मुख्य मांगें:
काम के घंटे 14 से घटाकर 8 करना।
न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण।
महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश।
प्रभाव: यह पार्टी बॉम्बे विधानसभा में दलितों और मजदूरों की आवाज़ बनी।
सिद्धार्थ कॉलेज (1923):
अंबेडकर ने मुंबई में इस कॉलेज की स्थापना की, जो दलितों और गरीबों को शिक्षा देने का केंद्र बना।
पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी (1945):
शिक्षा को सामाजिक बदलाव का हथियार बताते हुए इस संस्था के माध्यम से स्कूल और हॉस्टल बनवाए।
उद्देश्य: महिलाओं को संपत्ति, तलाक, और उत्तराधिकार में समान अधिकार दिलाना।
मुख्य प्रावधान:
विवाह और तलाक के लिए समान कानून।
महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी।
विरोध: रूढ़िवादी नेताओं और धार्मिक समूहों के विरोध के कारण बिल पूरी तरह पास नहीं हो सका, लेकिन इसने महिला अधिकारों की बहस को आगे बढ़ाया।
लक्ष्य: दलितों को राजनीतिक रूप से संगठित करना।
मांगें:
दलितों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल।
शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण।
14 अक्टूबर 1956: अंबेडकर ने नागपुर में अपने 5 लाख समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया।
कारण:
हिंदू धर्म की जातिवादी व्यवस्था से मुक्ति।
बौद्ध धर्म के समानता, तर्क, और करुणा के सिद्धांतों को अपनाना।
प्रभाव: यह आंदोलन दलितों के लिए सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आत्मसम्मान का प्रतीक बना।
भागीदारी: अंबेडकर ने लंदन में हुए तीन गोलमेज सम्मेलनों में दलितों के अधिकारों को वैश्विक मंच पर उठाया।
मांगें:
दलितों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल।
शिक्षा और रोजगार में समान अवसर।
परिणाम: गांधी जी के साथ हुए पूना पैक्ट (1932) के तहत दलितों को विधानसभाओं में आरक्षण मिला।
मूकनायक (1920): मराठी में प्रकाशित इस साप्ताहिक अख़बार ने दलितों की आवाज़ बुलंद की।
जनता (1930): हिंदी और मराठी में छपने वाले इस अख़बार ने सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई को मजबूती दी।
बैंक ऑफ़ इंडिया (1946):
अंबेडकर ने दलितों और गरीबों को वित्तीय स्वावलंबन देने के लिए इस बैंक की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कृषि सुधार: भूमिहीन किसानों के लिए ज़मीन के पुनर्वितरण की वकालत की।
संविधान सभा के अध्यक्ष: अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया, जिसमें समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व के सिद्धांत शामिल किए।
महत्वपूर्ण अनुच्छेद:
अनुच्छेद 17: छुआछूत का उन्मूलन।
अनुच्छेद 15-16: जाति, लिंग, धर्म के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध।
अनुच्छेद 32: संवैधानिक उपचार का अधिकार।
कोलंबिया विश्वविद्यालय (1913-1916):
अंबेडकर ने अपने शोध के माध्यम से भारत में जातिवाद की समस्या को वैश्विक स्तर पर उठाया।
यूएनओ में भाषण (1950):
उन्होंने कहा: "जब तक समाज में जाति है, भारत विकास नहीं कर सकता।"
डॉ. अंबेडकर के ये अभियान न सिर्फ़ दलितों, बल्कि पूरे भारत के सामाजिक-आर्थिक ढाँचे को बदलने की नींव बने। उन्होंने साबित किया कि "संघर्ष और शिक्षा के बल पर ही गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ी जा सकती हैं।" आज भी ये आंदोलन उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो समानता और गरिमा की लड़ाई लड़ रहे हैं।
स्मरणीय वाक्य: "मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ, जो स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारा सिखाए।"
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर
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