डिजिटल डॉक्युमेंटेशन (DIGITAL DOCUMENTATION)
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परिभाषा (Definition): डिजिटल डॉक्युमेंटेशन का मतलब है किसी भी जानकारी, दस्तावेज़ या रिकॉर्ड को डिजिटल फॉर्मेट (कंप्यूटर, मोबाइल या क्लाउड स्टोरेज) में बनाना, स्टोर करना और मैनेज करना। यह पेपर-बेस्ड दस्तावेज़ों का डिजिटल वर्जन होता है, जिसे आसानी से एडिट, शेयर और सर्च किया जा सकता है।
ईमेल (Email) – कोई ऑफिशियल मेल या पत्र डिजिटल रूप में भेजना।
PDF/Word फाइल्स – रिपोर्ट्स, कॉन्ट्रैक्ट या प्रेजेंटेशन को PDF या DOC फॉर्मेट में सेव करना।
गूगल डॉक्स (Google Docs) – ऑनलाइन डॉक्युमेंट बनाना और टीम के साथ शेयर करना।
स्कैन किए हुए दस्तावेज़ – Aadhaar Card, PAN Card को स्कैन करके कंप्यूटर में सेव करना।
ई-साइन (Digital Signature) – डिजिटल हस्ताक्षर से कानूनी दस्तावेज़ों को वैलिड करना।
✅ पेपरलेस वर्क – कागज की बचत होती है। ✅ आसान एक्सेस – कहीं से भी, किसी भी डिवाइस से ओपन किया जा सकता है। ✅ सुरक्षित (Secure) – पासवर्ड या एन्क्रिप्शन से प्रोटेक्ट किया जा सकता है। ✅ क्विक सर्च – कीवर्ड डालकर जरूरी जानकारी ढूंढना आसान होता है।
पहले कंप्यूटर और मॉडर्न सॉफ्टवेयर नहीं होते थे, फिर भी लोग कुछ हद तक "डिजिटल" या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दस्तावेज़ बनाते थे। यहाँ कुछ पुराने तरीके बताए गए हैं:
कैसे काम करता था?
मैनुअल कीबोर्ड से टेक्स्ट पेपर पर प्रिंट होता था।
कोई एडिटिंग नहीं हो सकती थी-गलती होने पर पूरा पेज दोबारा टाइप करना पड़ता था।
डिजिटल कनेक्शन?
1970s के बाद इलेक्ट्रिक टाइपराइटर आए, जिन्हें कंप्यूटर से जोड़ा जा सकता था।
कैसे काम करता था?
टेलीग्राफ लाइन्स के जरिए टेक्स्ट मैसेज एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था।
बैंक, समाचार एजेंसियाँ और सरकारी दफ्तर इस्तेमाल करते थे।
डिजिटल कनेक्शन?
यह पहला "डिजिटल कम्युनिकेशन" सिस्टम था, जिसमें डेटा इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में ट्रांसफर होता था।
कैसे काम करता था?
कागज के कार्ड्स में छेद (होल्स) करके डेटा स्टोर किया जाता था।
कंप्यूटर (जैसे IBM मशीनें) इन कार्ड्स को पढ़कर डेटा प्रोसेस करती थीं।
डिजिटल कनेक्शन?
यह कच्चा (primitive) डिजिटल स्टोरेज था, जिससे प्रोग्रामिंग और डेटा एंट्री होती थी।
कैसे काम करता था?
डॉक्युमेंट्स को फ्लॉपी (1.44 MB!) या टेप पर सेव किया जाता था।
धीमा और लिमिटेड स्टोरेज होता था।
डिजिटल कनेक्शन?
यह पहली बार था जब डॉक्युमेंट्स को पोर्टेबल डिजिटल फॉर्मेट में सेव किया जा सकता था।
कैसे काम करता था?
ये टाइपराइटर जैसी मशीनें थीं, लेकिन इनमें सिंपल स्क्रीन और मेमोरी होती थी।
टेक्स्ट एडिट करके सेव किया जा सकता था।
डिजिटल कनेक्शन?
ये आधुनिक कंप्यूटरों के वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (जैसे MS Word) के पूर्वज थे।
जेरॉक्स (Xerox) मुख्य रूप से फोटोकॉपी मशीनों और प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसने टाइपराइटर भी बनाए थे। हालाँकि, Xerox ने कभी अपने खुद के ब्रांडेड टाइपराइटर नहीं बनाए, लेकिन उसने इलेक्ट्रॉनिक वर्ड प्रोसेसिंग सिस्टम (जो टाइपराइटर का ही एडवांस वर्जन था) विकसित किए थे।
Xerox ने "Xerox Memorywriter" नामक इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर/वर्ड प्रोसेसर बनाया, जिसमें:
स्क्रीन (Display): छोटा LCD स्क्रीन होता था, जिससे टेक्स्ट एडिट किया जा सकता था।
मेमोरी (Memory): कुछ लाइन्स का टेक्स्ट सेव कर सकता था।
प्रिंटिंग: डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की तरह काम करता था।
Xerox ने "Xerox Star" कंप्यूटर सिस्टम बनाया, जिसमें:
ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) था (जैसे आज के Windows/Mac)।
माउस और आइकन-बेस्ड ऑपरेशन का इस्तेमाल होता था।
यह टाइपराइटर नहीं था, लेकिन इसने मॉडर्न डिजिटल डॉक्युमेंटेशन की नींव रखी।
Xerox ने IBM Selectric टाइपराइटर जैसी मशीनों से प्रतिस्पर्धा की।
1980s के बाद, पर्सनल कंप्यूटर (PC) और वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर (जैसे MS Word) के आने से टाइपराइटर धीरे-धीरे खत्म हो गए।
✔ इलेक्ट्रॉनिक कीबोर्ड – मैकेनिकल टाइपराइटर से बेहतर। ✔ टेक्स्ट एडिट करने की सुविधा – पेपर पर सीधे प्रिंट करने से पहले एडिट किया जा सकता था। ✔ डिजिटल स्टोरेज – फ्लॉपी डिस्क या मेमोरी में डॉक्युमेंट सेव कर सकते थे।
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