हल्दी
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हल्दी के खेतों में तथा बगान में भी लगया जाता है। इसके पत्ते हरे रंग के दीर्घाकार होते हैं।इसका जड़ उपयोग में लाया जाता है। कच्चे हल्दी के रूप में यह सौन्दर्यवर्द्धक है।सुखे हल्दी को लोग मसले के रूप में इस्तेमाल करे हैं। हल्दी रक्तशोधक और काफ नाशक है ।
हल्दी के अवयवों का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, हल्दी के एक अवयव सोडियम करक्यूमिनेट से आंतों में होने वाली ऐंठन को रोका जा सकता है। हल्दी का एक और अवयव जिसे पी-टॉलीमिथाइलकारबिनोल कहा जाता है, सेक्रेटिन, बाइकार्बोनेट, गैस्ट्रिन और पैंक्रिअटिक एंजाइम स्राव को बढ़ा सकता है। पशुओं पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, हल्दी जानवरों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंसल्ट (पेट या आंत में किसी प्रकार की क्षति या चोट) की समस्या में आंत की दीवार के म्यूकस को बढ़ाकर तनाव, शराब, इंडोमेथेसिन (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स), रेसरपाइन और पाइलोरिक लिगेशन (ऐसी स्थिति जिससे पेट में गैस्ट्रिक एसिड जमा होने लगता है) जैसे कारणों से होने वाले अल्सर को बनने से रोकने में मददगार हो सकती है।
हल्दी पित्त स्राव को बढ़ाने में मदद कर सकती है और संभावित रूप से, शरीर में फ़ैट को पचाने में मदद मिल सकती है। इससे पाचन के बेहतर होने में मदद हो सकती है और लीवर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद हो सकती है। हालांकि, इस तरह के दावों को साबित करने के लिए और शोध किये जाने चाहिए।
हल्दी नाक से बहते खून को रोकने में, साइनस को साफ करने और सूंघने की क्षमता को तेज़ करने में असरदार हो सकती है। खांसी, साइनसाइटिस और डिस्पेनिया (सांस लेने में दिक्कत) में भी हल्दी मदद कर सकती है।5 हालांकि, इन प्रभावों को आगे के शोध से पता लगाने की ज़रूरत है।
हल्दी के अर्क और करकुमा लोंगा के एसेंशियल ऑयल से अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया, रोग पैदा करने वाले कवक और परजीवी रोके जा सकते हैं। हल्दी का जलीय अर्क एंटीबैक्टीरियल प्रभाव दिखा सकता है। कई बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस, लैक्टोबैसिलस और स्ट्रेप्टोकोकस के बढ़ने को करक्यूमिन द्वारा रोका जा सकता है। हल्दी के ईथर और क्लोरोफॉर्म अर्क एंटिफंगल क्षमता दिखाते हैं। हल्दी में एंटीवायरल गुण भी हो सकते हैं। हल्दी के ये सारे गुण इंफेक्शन पैदा करने वाले कीटाणुओं से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
डिटॉक्सिफिकेशन शरीर से विषैले पदार्थों को खत्म करने की प्रक्रिया है। हल्दी का सक्रिय अवयव, करक्यूमिन, सीसा और कैडमियम जैसी भारी धातुओं के साथ जुड़ सकता है और इन धातुओं के विषैलेपन को कम कर सकता है। हल्दी विष से निपटने और खून के शुद्धिकरण में भी कारगर हो सकती है।5 हालांकि, इन प्रभावों पर और शोध किए जाने की ज़रूरत है। अपनी मर्ज़ी से दवा न लें। डॉक्टर से परामर्श करें।
रक्त को शुद्ध करने और पोषण देने में हल्दी मदद कर सकती है जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार हो सकती है। यह एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुणों के कारण मुहांसे, एक्जिमा आदि जैसे त्वचा के रोगों के लिए असरदार हो सकती है। यह समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षणों को भी कम करने में मदद कर सकती है। हल्दी सनस्क्रीन और सौंदर्य प्रसाधनों का भी एक घटक है।5 हालांकि, त्वचा पर इसके प्रभावों पर और शोध किए जाने की ज़रूरत है।
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